क्या आम चुनाव से पहले संभव है ब्याज दरों में कटौती? अंतिम दो तिमाहियों में रेपो रेट में कमी की गुंजाइश
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By Admin
Published - 11 April 2023 229 views
नई दिल्ली। जहां अमेरिका से ब्रिटेन तक और पाकिस्तान से श्रीलंका तक के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों को बढ़ाने का सिलसिला जारी रखा है, वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने पिछले गुरूवार को ब्याज दरों को स्थिर रखने का फैसला किया।
अब आर्थिक शोध एजेंसियां मानती हैं कि अगर महंगाई की दर आने वाली तिमाहियों में उम्मीद के मुताबिक रहती हैं तो वर्ष 2023 के अंत तक ब्याज दरों में कटौती भी संभव है।
ऐसा होता है तो कर्ज की दरों में वृद्धि का जो सिलसिला पिछले वर्ष शुरू हुआ था वह अगले वर्ष के आम चुनाव से पहले कटौती में तब्दील में हो सकता है। भाजपा पूर्व में भी कई बार ऐसा दावा करती रही है कि उसके कार्यकाल में बैंकों से होम लोन, ऑटो लेन व दूसरे कर्ज लेना दूसरी पार्टी की सरकारों के मुकाबले सस्ती होती है।
ब्याज दरों को लंबे समय तक स्थिर रखने के लिए आरबीआई ने लिया फैसला
इस संदर्भ में पूर्व की वाजपेयी सरकार और यूपीए सरकार के कार्यकाल में होम लोन की दरों का उदाहरण भी दिया जाता रहा है। सोमवार को तीन बड़ी आर्थिक शोध एजेंसियों सिटी, नोमुरा और यूबीएस की रिपोर्ट बताती हैं कि आरबीआइ ने जिस तरह से रेपो रेट को 6.50 फीसद पर स्थिर रखने का फैसला किया है वह ब्याज दरों को लंबे समय तक स्थिर रखने के लिए किया गया है।
इन तीनों एजेंसियों ने अनुमान लगाया है कि इस वित्त वर्ष के अंत तक ब्याज दरों में 50 फीसद तक की कटौती की भी सूरत बन रही है। आरबीआइ गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास की तरफ से 06 अप्रैल, 2023 को घोषित मौद्रिक नीति समीक्षा पर सिटी ग्रूप ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केंद्रीय बैंक अब लंबे समय तक ब्याज दरों को स्थिर रखेगा।
जानें क्या बताती है नोमुरा की रिपोर्ट
अगर वित्तीय सेक्टर में कोई भारी उतार-चढ़ाव आता है तभी कोई बदलाव होगा। नोमुरा की रिपोर्ट बताती है कि अगर विकास दर उम्मीद के मुताबिक नहीं होती है तो अक्टूबर, 2023 के बाद ब्याद दरों में कटौती संभव है। यह कटौती अगले वित्त वर्ष तक 75 आधार अंकों तक की हो सकती है। वैश्विक आर्थिक शोध एजेंसी यूबीएस ने तो इसी वर्ष के अंत तक 50 आधार अंकों की कटौती का अनुमान लगाया है।
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