भारत के 9 प्रोफेसर-साइंटिस्ट दुनिया के टॉप वैज्ञानिकों की सूची में शामिल होकर देश का सम्मान बढ़ाया।
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By Admin
Published - 18 September 2024 73 views
भगवन्त यादव ✍️
लखनऊ/गोरखपुर। अमेरिका में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की ओर से बनाए गए विश्व डेटाबेस में शीर्ष वैश्विक वैज्ञानिकों की लिस्ट में उत्तर प्रदेश के 9 प्रोफेसर को शामिल किया गया है। इसमें 5 लखनऊ विश्वविद्यालय के और 2-2 गोरखपुर की मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी और दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय से हैं।
सूची में लखनऊ विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग से प्रोफेसर अमृतांशु शुक्ला, डॉ. सीआर गौतम, डॉ. रोली वर्मा, रसायन विज्ञान विभाग से प्रोफेसर अभिनव कुमार और डॉ. विनोद कुमार वशिष्ठ शामिल हैं. मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर के प्रो. राजेश कुमार यादव और प्रो. डीके द्विवेदी का नाम सची में दर्ज है तथा इसके अलावा दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के दो प्रतिष्ठित संकाय सदस्यों, रसायन विज्ञान विभाग के प्रो. गुरदीप सिंह और जीव विज्ञान विभाग के प्रो. रविकांत उपाध्याय को भी स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, यूएसए के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार की गई दुनिया के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की सूची में शामिल किया गया है।
प्रोफेसर रवि कांत उपाध्याय वर्तमान में जीवविज्ञान विभाग के प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं. उनके अब तक 150 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं. रसायन विज्ञान विभाग के सेवानिवृत्त संकाय सदस्य प्रोफेसर गुरदीप सिंह के 200 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हैं।
ज्ञातव्य है कि प्रति वर्ष स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट शोध कार्य कर रहे शीर्षस्थ दो प्रतिशत वैज्ञानिकों की एक सूची जारी की जाती है, जिसमें शोध प्रकाशनों की संख्या, गुणवत्ता, एवं साईटेशन के आधार कर शोधकर्ताओं की रैंकिंग की जाती है।जो डेटाबेस में वैज्ञानिकों को स्थापित साइंस-मेट्रिक्स वर्गीकरण प्रणाली का उपयोग करके अलग-अलग वैज्ञानिक क्षेत्रों और 174 उप-क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है. अगस्त 2024 के अंत तक उनके पूरे करियर के डेटा को अपडेट किया गया है और सबसे हाल के वर्ष का डेटा शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में प्राप्त उद्धरणों की संख्या को प्रदर्शित किया गया है।
बैज्ञानिक क्षेत्रों में प्रोफेसर अमृतांशु शुक्ला, सैद्धांतिक परमाणु भौतिकी और तापीय ऊर्जा भंडारण पर अपने अनुकरणीय पर किए गए शोध कार्य के कारण सुर्खियों में हैं. उनके 200 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें से लगभग 75 अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में शामिल हैं। उनके नाम से 10 पुस्तकें भी छप चुकी हैं तथा डॉ. सीआर गौतम सिरेमिक सामग्री के क्षेत्र में काम कर रहे हैं और उन्होंने दंत चिकित्सा और अस्थि प्रत्यारोपण सहित जैविक अनुप्रयोगों के लिए सफलतापूर्वक नवीन सामग्री विकसित की है. जबकि डॉ. रोली वर्मा ने प्लास्मोनिक और फोटोनिक नैनोस्ट्रक्चर और फिल्मों पर आधारित ऑप्टिकल सेंसर पर काम किया, जिसने उन्हें शीर्ष पर पहुंचाया. उनके शोध कार्य का उद्देश्य पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाना है।
प्रोफेसर अभिनव कुमार का काम संक्रमणकालीन धातुओं, पॉलिमर (सीपी), धातु-कार्बनिक संरचनाओं (एमओएफ) और डाई-सेंसिटाइज्ड सौर कोशिकाओं के क्षेत्र में रहा है. इस प्रकार के शोध के पदार्थ विज्ञान के क्षेत्र में कई उपयोग हैं, जिसमें दवा निर्माण और ऊर्जा क्षेत्र में विशेष रूप से योगदान किया हैं।
रसायन विज्ञान से डॉ. वशिष्ठ सेपरेशन साइंस, मैक्रोसाइक्लिक कॉम्प्लेक्स, चिरल सेपरेशन, बायोएनालिटिकल रसायन विज्ञान के क्षेत्र में सक्रिय शोधकर्ता हैं, जिनका पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में विशेष अनुप्रयोग है. कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने इन प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए आशा व्यक्त की है कि हम छात्रों और शिक्षकों की विशिष्ट उपलब्धियों के साथ लखनऊ विश्वविद्यालय का झंडा इसी तरह लहराते रहेंगे।
बताते चलें कि प्रो डीके द्विवेदी ने दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से बीएससी, एमएससी तथा पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र से की थी, जिसके बाद वे दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में लेक्चरर नियुक्त हुए थे. वर्ष 2009 में उनकी नियुक्ति तत्कालीन मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर हुई जहां वे क्रमशः एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर नियुक्त हुए. प्रो डी के द्विवेदी ने लगभग 200 शोध पत्र प्रकाशित किए हैं।
प्रो राजेश कुमार यादव ने पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर से बीएससी और एमएससी करने के बाद मेरठ विश्वविद्यालय से पीएचडी की है. उन्होंने लगभग 10 वर्षों तक दक्षिण कोरिया में शोधकर्ता के तौर पर काम किया है और वर्ष 2017 में वे एमएमएमयूटी में एसोसिएट प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुए. फिलहाल प्रोफेसर पद पर कार्य कर रहे हैं. प्रो यादव के लगभग 200 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं जो देश के लिए गर्व की बात है।
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