खेती किसानी:- गेहूँ के भण्डारण में कीटां के प्रकोप का प्रमुख कारण अनाज में 10 प्रतिशत से अधिक नमी का होना है
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By Admin
Published - 19 April 2025 18 views
जौनपुर। जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने अवगत कराया है कि जिन किसान भाईयों की माह अपै्रल में फसलों की कटाई एवं मड़ाई पूर्ण हो चुकी है और उत्पादित अन्न को भण्डारण से होने वाले क्षति से बचाना आवश्यक है। भण्डारण में कीटां के प्रकोप का प्रमुख कारण अनाज में 10 प्रतिशत से अधिक नमी का होना, यदि भण्डार कक्ष या पात्र में आक्सीजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होंगे तो कीट लगने की सम्भावना बढे़गी। कीटों के बढ़वार व विकास हेतु लगभग 27 डिग्री सेण्टीग्रेट तापक्रम उपयुक्त होता है। कीट भण्डार कक्ष तक कीट खेतां से अनाज के साथ अण्डे के रुप में आ जाती है, मडाई वाले स्थल से कीट आ जाते है, ढुलाई के साधन तथा पुराने बोरां से कीट आ जाते है। अतः अन्न भण्डारण हेतु निम्न सावधानियां रखना आवश्यक है, गोदाम, कुठला व बखारी की भली-भांति से सफाई एवं मरम्मत कर लें, दरार एवं बिल पूरी तरह सीमेण्ट से बंद कर देना चाहिए। भण्डारण से पूर्व भण्डार गृह व बखारी आदि को मैलाथियान 50 प्रतिशत इ०सी० को 1 प्रतिशत 100 के अनुपात में घोल बनाकर 3 लीटर/100 वर्ग मीटर की दर से फर्स एवं छत पर छिड़काव करें। पुराने बोरां को कड़ी धूप में सुखा लें अथाव मैलाथियान 50 प्रतिशत ई0सी0के 1 प्रतिशत 100 अनुपात के घोल में 10 मिनट तक बोरों को भिगोकार अच्छी तरह सुखा लें। अनाज को अच्छी तरह सूखा लें जिससे दाने में 10 प्रतिशत से अधिक नमी न रह जाये। भण्डार कक्ष/गोदाम में भण्डारण करना है तो फर्स पर 2.5 फिट मोटी साफ एवं सुखा नये भूसे की तट लगाकर बोरों की छल्ली दीवाल से 2.5 फिट की दूरी पर लगाना चाहिये। अनाज का भण्डारण कुठलों या बखारी में करना है तो एल्यूमिनियम फास्फाइड पाउडर पाउच 56 प्रतिशत, 10 ग्राम पैकिंग की 1 पाउच या एल्यूमिनियम फास्फाइड 15 प्रतिशत 12 ग्राम पैकिंग का 1 टैबलेट 1 मिट्रिक टन अनाज के बीच में रखकर बखारी को पूरी तरह वायुरोधी कर देना चाहिए। एल्यूमिनियम फास्फाइड पाउडर पाउच 56 प्रतिशत के पैकेट को किनारे से काटकर अन्दर के पाउच को निकालकर वैसे ही बोरियों के बीच रखना चाहिए, जबिक एल्यूमिनियम फास्फाइड 15 प्रतिशत टैबलेट को कपडे़ में लपेट कर रखना चाहिए। भण्डारण पात्रां के पेदी पर बीच-बीच में एवं अनाज के साथ नीम की सूखी पत्तियां रखने से कीट का प्रकोप नही होता। दलहनी फसलो को भण्डरण से पूर्व सरसों या अलसी का तेल 5 मिली0 प्रति किलोग्राम अनाज की दर से मिला देने पर ढ़ोरा कीट का प्रकोप नही होता है। प्याज और आलू के भण्डारण से पूर्व फर्स पर बालू की मोटी तट बिछाकर रखने से उच्च ताप से बचाया जा सकता है। चूहा से बचाव हेतु जिंक फास्फाईड 80 प्रतिशत पाउडर का 2 भाग जिंकफास्फाईड प्लस 48 भाग चारा में कुछ बूंद सरसों का तेल मिलाकर चारा का प्रयोग करना चाहिए। ध्यान रहे कि रसायनों का प्रयोग सावधानी से करें तथा मुंह को ढ़क कर रखे, कीटनाशकों से बच्चों एवं पशु-पक्षियों को दूर रखें।
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